# भूमि किसान की आत्मा
किसान के लिऐ मिट्टी उसकी मां के समान होती हैं और वह मिट्टी से उतना ही प्रेम करता है जितना कि बच्चा अपनी मां से करता है। आधुनिकीकरण और शहकरीरण के कारण कृषि योग्य भूमि कम होती जा रही है और कृषि जोत का आकार छोटा होता जा रहा है। इन सब का प्रभाव किसान की आय पर पड़ता है और दिन प्रतिदिन आय कम होती जाती है। प्रत्येक सरकार कई वायदे करती है लेकिन वो वायदे सिर्फ भाषण तक सीमित रह जाते है। एक तरफ आधुनिकीकरण की मार और दूसरी ओर प्रकृति की मार जैसे बाढ़ सूखा आदि फसल को चौपट कर जाते हैं और किसान के हाथ कुछ नहीं लगता है । सरकार नुकसान की भरपाई करने की घोषणा यदि 1000 रुपए की करती है तो किसान के पास केवल 10 रूपए ही पहुंचते हैं ये वाकई शर्मनाक है । आये दिन किसान आत्महत्या करते है क्यू ? क्यूकी उसके पास उसके परिवार का जीवन यापन करने की भी राशि नहीं होती हैं। नेता लोग लग्ज़री जीवन बिताते है वहीं दूसरी ओर किसान एक सामान्य जीवन जीने में भी आसमर्थ है इसके पीछे कहीं ना कहीं नेताओ ओर साहूकारों का ही हाथ है। हमें अपने किसान भाईयो के बारे में सोचना चाहिए क्यूकि भारत जैसे कृषि प्रधान देश का पेट हमारे किसान भाई ही भरते है।
# जय जवान
जय किसान#
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